नाथ मैँ थारोजी थारो !चोखो,बुरो कुटिल अरु कामी जो कछू

नाथ मैँ थारोजी थारो !चोखो,बुरो कुटिल अरु कामी जो कछू



नाथ मैँ थारोजी थारो !

चोखो,बुरो कुटिल अरु कामी जो कछू हूँ सो थारो,

बिगड़्यो हूँ तो थारो बिगड़्यो,थे ही मनै सुधारो ।

सुधरयो तो प्रभु सुधरयो थारो,थां सूं कदे न न्यारी,

बुरो बुरो मैँ भोत बुरो हूँ आखर टाबर थारो ।

बुरो कहाकर मैँ रह जास्यूं,नाम बिगड़सी थारो,

थारो हूँ थारो ही बाजूं,रहस्यूं थारो थारो ।।

आँगलियाँ नुहँ परै न होवै,या तो आप विचारो,

मेरी बात जाय तो जाओ,सोच नहीँ कछु म्हारो ।

मेरी बड़ी सोच यो लाग्यो,बिरद लाजसी थारो,

जचै जिसतरां करो नाथ ! अब,मारो,चाहे तारो ।

जाँघ उघाड़याँ लाज मरोगा,ऊंडी बात बिचारो ।।

''जय श्री राधे कृष्णा ''

Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: