राम बिनु तन को ताप न जाई।

राम बिनु तन को ताप न जाई।



राम बिनु तन को ताप न जाई।
जल में अगन रही अधिकाई॥

तुम जलनिधि मैं जलकर मीना।
जल में रहहि जलहि बिनु जीना॥1||


तुम पिंजरा मैं सुवना तोरा।
दरसन देहु भाग बड़ मोरा॥2||

तुम सद्गुरु मैं प्रीतम चेला।
कहै कबीर राम रमूं अकेला॥3||

''जय श्री राधे कृष्णा ''

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