
दिलदार कनहैया ने मुझको अपनाया है
रस्ते से उठा कर के सीने से लगाया है|
ना करम ही अच्छे थे ,ना भाग्य प्रवल मेरा
ना सेवा करी तेरी ,ना नाम कभी तेरा
ये तेरा बडप्पन है ,मुझे प्रेम सिखाया है ||1||
. जो कुछ हू आज प्रभु सब तेरी महरबानी
सत सत है नमन तुझको महाभारत के दानी
.तूने ही दया कर के जीवन महकाया है||2||
प्रभु रखना संभाल ,मेरा ये मन ना भटक जाए
बस इतना ध्यान रहे कोई दाग ना लग जाए
बदरंग ना हो जाए जो रंग चढ़ाया है||3||
.अहसास है ये मुझको चरणों में सुरछित हू
अहसान बहुत तेरे भूले ना कभी हम
श्री श्याम सुधा अमरत का मुझे स्वाद चखाया है||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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