
स्वागतम कृष्ण, शरणागतम कृष्ण..
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अभी आता ही होगा सलोना मेरा
हम राह उसी की तका करते हैं
कविता सविता नहीं जानते है
मन में जो आया सो बका करते हैं,||1||
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पड़ते उनके पद पंकज में
चलते चलते जो थका करते हैं
उनका रस रूप पिया करते हैं
उनकी छवि छाप छका करते हैं ||2||
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अपने प्रभु को हम ढूँढ लियो
जैसे लाल अमोलक लाखन में
प्रभु के अंग में जितनी नरमी
उतनी नरमी नहीं माखन में ||3||
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कविता सविता नही जानते,
बस राधा रमण को दिल मे
याद करके भजन किया करते है।|4||
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''जय श्री राधे कृष्णा ''
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