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शरण में आये हैं हम तुम्हारी,
दया करो हे दयालु भगवन ।
सम्हालो बिगड़ी दशा हमारी,
दया करो हे दयालु भगवन ।
न हम में बल है, न हम में शक्ति ।
न हम में साधन, न हम में भक्ति ।
तुम्हारे दर के हैं हम भिखारी||1||
प्रदान कर दो महान शक्ति,
भरो हमारे में ज्ञान भक्ति ।
तभी कहाओगे ताप हारी ||2||
जो तुम पिता हो, तो हम हैं बालक ।
जो तुम हो स्वामी, तो हम हैं सेवक ।
जो तुम हो ठाकुर, तो हम पुजारी ।|3||
भले जो हैं हम तो हैं तुम्हारे |
बुरे जो हैं हम तो हैं तुम्हारे |
तुम्हारे हो कर भी हम दुखारी ||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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