
धुन- आने से उसके आये
भव सिन्धु कैसे उतरेंगे पार , चंचल बहुत है सागर की धार
बहता पानी है मेरे भोले बाबा , नैया पुरानी है मेरे भोले बाबा ||
डगमगा रही है खाके , तूफानों के ये झकोले
किस घड़ी न जाने ये समुन्दर , इसे अब डुबो ले
विपदा की रात है ये , रात भी तूफानी है || १ ||
दिख नहीं रहा है , मुझे दरिया का कोई किनारा
है फकत तुम्हारा , मुझे भोले जी अब दो सहारा
दुखिया की लाज है ये , लज्जा तो बचानी है || २ ||
अब नहीं जो दोगे , अपने भक्तों को भोले सरकार
फिर तो डूब जाये , मेरी किस्मत का फ़ौरन सितारा
संकट में जान है ये , तुझको बचानी है || ३ ||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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