तर्ज:बचपन की मुहब्बत को दिल से न जुदा करना दरबार तेरा
published on 04 अक्टूबर
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तर्ज:बचपन की मुहब्बत को दिल से न जुदा करना
दरबार तेरा ओ श्याम,खुशियों का खजाना है
मिलता जो सुकून यहाँ,कहीं और न जाना है॥
आया जो पहली बार,दर पर तेरे ओ श्याम
जग में चर्चा तेरी, सुन कर तेरा मैं नाम...
देखा जबसे तुझे श्याम, दिल तेरा दीवाना है ॥1||
मस्ती जो बरस रही,मस्ती में मैं खोया
नाच उठा मेरा मन,जागा जो था सोया
भक्ति का दीप यह श्याम,घर-घर में जगाना है ॥2 ||
जहाँ दीप जगे आना,जगे ज्योति तुम्हारी श्याम
गुण गान करूँ तेरा, रस पान करूँ मैं श्याम
रस भक्ति का तुझे श्याम,हाथों से पिलाना है ||3||
एक बार नहीं कई बार,पीया न प्यास बुझे
बढ़ती ही यह जाये, जब-जब मैं देखुं तुझे
'टीकम' दे दर्शन श्याम,निश दिन दर आना है ||4||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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