राखी बँधवाल्यो, साँवरिया म्हारो,  मान राखल्यो जी, राखी बँधवाल्यो

राखी बँधवाल्यो, साँवरिया म्हारो, मान राखल्यो जी, राखी बँधवाल्यो



          तर्ज़-धमाल
               
राखी बँधवाल्यो, साँवरिया म्हारो,
 मान राखल्यो जी, राखी बँधवाल्यो |
"या राखी है प्रेम भाव की"-2, 
प्रीत बढ़ाल्यो जी, राखी बँधवाल्यो|
               
रक्षा बँधन के दिन बाबा, 
थारै राखी बाँधा हाँ,
"भांत भांत की धरां मिठाई"-2, 
भोग लगाल्यो जी ||1||


               
हर विपदा सै म्हानै बचाज्यो, 
संकट दूर भगा दिज्यो,
"थे ही म्हारी रक्षा करज्यो"-2
 विनती सुणल्यो जी ||2||


               
थारो म्हारो हेत पुराणों, 
थे जाणो हो म्है जाणां,
"रवि" कह्वै यो प्रेम आपणों"-2, 
सदा निभाज्यो जी ||3||



जय श्री राधे कृष्ण
 श्री कृष्णाय समर्पणम्



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