छाई है बदरिया कारी रे , रिमझिम पड़े फुहार

छाई है बदरिया कारी रे , रिमझिम पड़े फुहार






धुन- पंख होती तो उड़ जाती



छाई है बदरिया कारी रे , रिमझिम पड़े फुहार
झूले राधे संग बिहारी ||



कदम की डाल पे यमुना तीरे , श्री राधे संग मोहन झूले
दातुर मोर पपीहा बोले , ओsss
अमवां की डार पे कोयल कुँके || १ ||



एक दुझे की ओर निहारे , राधे कृष्ण भये मतवारे
झूलन की रुत आई सुहानी , ओsss
कल कल बहता यमुना का पानी || २ ||



धरती आज बानी है दुल्हन , महक रहा है मन का मधुबन
दसों दिशाएँ शंक बजाए , ओsss
दास " अजय " चरणन सिर नावे || ३ ||


जय श्री राधे कृष्ण
 श्री कृष्णाय समर्पणम्



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