कान्हा ओ कान्हा ,चरणों में जगह दे मुझे

कान्हा ओ कान्हा ,चरणों में जगह दे मुझे




तर्ज़:घुंगरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं



कान्हा ओ कान्हा,चरणों में जगह दे मुझे
तूं करदे नजर,तूं करदे महर,चरणों में जगह दे मुझे । 

छोड़ दर मैं तेरा,अब जाऊं कहाँ,नहीं अपना कोई हैं मेरा यहाँ
ठुकराया गया,मैं लुटाया गया,अपनों से ही मैं सताया गया
आंसू गम के पिये,उफ़ कर न सके,बचाले तू इनसे मुझे॥1॥ 




मैं देंखू जिधर,दिखतें है उधर,फैलाये है फन खड़े अजगर
लगते हैं सभी,मुझको विषधर,अमृत भी यहाँ लगता है जहर.
वो हँसते रहे,हम रोते रहे,वर शक्ति का दे दे मुझे || २ ॥ 



है टूटा भ्रम,टूटा है अहम, झुठा था मेरा वो सारा वहम
भुलाये हैं मैंने,सारे वो गम, आया है शरण तेरे 'टीकम'
हाथ थामों मेरे, खड़ा दर पे तेरे,वर भक्ति का दे दे मुझे ॥3 ॥ 

जय श्री राधे कृष्ण
 श्री कृष्णाय समर्पणम्

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