मारे मत मइया, वचन भरवाय लैवचन भरवाय लै, सौगन्ध खवाय

मारे मत मइया, वचन भरवाय लैवचन भरवाय लै, सौगन्ध खवाय






मारे मत मइया, वचन भरवाय लै
वचन भरवाय लै, सौगन्ध खवाय लै।

गंगा की खवाय लै, चाहे जमुना की खवाय लै
क्षीर सागर में मइया ठाड़ो करवाय लै ॥ 

गइया की खवाय लै, चाहे बछड़ा की खवाय लै
नन्द बाबा के आगे ठाड़ो करवाय लै ॥ 

गोपिन की खवाय लै, चाहे ग्वालन की खवाय लै
दाऊ भइया के आगे कान पकराय लै ॥ 

बंसी की खवाय लै, चाहे कामर की खवाय लै
मेरे अपने सिर पे हाथ धर के कहवाय लै ॥ 




जय श्री राधे कृष्ण



       श्री कृष्णाय समर्पणम्



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