कभी कभी भगवान को भी, भक्तों से काम पडे |जाना

कभी कभी भगवान को भी, भक्तों से काम पडे |जाना






कभी कभी भगवान को भी, भक्तों से काम पडे |
जाना था गंगा पार, प्रभु केवट की नाव चढें.

अवध छोड प्रभु वन को धायें, सियाराम लखन गंगा तट आये,
केवट मन ही मन हरषायें, घर बैंठे प्रभु दर्शन पाये |
हाथ जोड कर प्रभु के आगे, केवट मगन खडें ||1||

प्रभु बोले तुम नाव चलाओ, पार हमें केवट पहुँचाओं,
केवट कहता सुनो हमारी, चरण धूली की माया भारी |
मैं गरीब हूँ नैया मेरी, ना नारी होय पडे..||2||

केवट दौड के जल भर लाये, चरण धोये चरणामृत पाया,
वेद ग्रंथ जिनके यश गाये, केवट उनको नाव चढायें |
बरसे फ़ूल गगन से ऐसे, भक्त के भाग बढ़े ||3||

चली नाव गंगा की धारा, सियाराम लखन को पार उतारा,
प्रभु देने लगे नाव उतराई, केवट कहे नही रघुराई |
पार किया मैने तुमको, अब तू मोहें पार करे || 4||


''जय श्री राधे कृष्णा ''


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