
भगवान् तुम्हारी दुनिया में निर्धन का कोई मान नहीं
निर्धन ठुकराए जाते है और धनी सत्कारे जाते है |
भगवान् तुम्हारी दुनिया में निर्धन का कोई मान नहीं |
ये धनी निर्धन की भेद खाई, क्यों पाटी नहीं गई जग स्वामी
हे नाथ तुम्हारी चोखट पे , निर्धन बिल्खाए रहते है |भगवान् तुम्हारी दुनिया में निर्धन का कोई मान नहीं |
हे धनी में गुण कोइ ख़ास नहीं ,तेरी कृपा की उस पर कमी नहीं |
तेरी कृपा की उस पर कमी नहीं |
निर्धन का कोई दोष नहीं ,तेरी कृपा की उस पर कमी रही
तेरी कृपा की उस पर कमी रही
हे नाथ तुम्हारी दुनिया में क्यों दींन सताए जाते है |
भगवान् तुम्हारी दुनिया में निर्धन का कोई मान नहीं |
निर्धन दुःख सह कर जीते है ,और धनी दुःख देकर जीते है
दुखियो के तुम हो दीनदयाल ,फिर दुखियो की तुझको फिकर नहीं |
भगवान् तुम्हारी दुनिया में निर्धन का कोई मान नहीं
निर्धन ठुकराए जाते है और धनी सत्कारे जाते है |
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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