
मिट्टी का तन जानिए
मिट्टी जाए बहाए
पिंजरे में बंद पंछी
जाने कब उड़ जाए
श्याम रंग है प्रेम का
कृष्ण प्रेम समझाए
राधा कैसी बावरी
प्रेम के रंग रंग जाए
शब्दों के ही बाण तो
जावे उर को चीर
छलक न आवे आंसू
तो भी होती है बड़ी पीर
पानी सा रंग जानिए
जो प्रेम का रंग बताए
सबके रंग में रंग गए
खुद बेरंग रह जाएं
प्रेम रंग से रंगे तो
तन मन रंगता जाए
ओंठ न रचते इसमें
जो मुख पान चबाए
पत्थर में जो प्रभु न होते
पत्थर जाए डुबाए
प्रभु राम के नाम से
पत्थर है उतराए
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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