चलो रे मन, चलें आज, व्रजधाम ,

चलो रे मन, चलें आज, व्रजधाम ,





चलो रे मन, चलें आज, व्रजधाम ,
तीन लोक के स्वामी जहँ पै, नाचत आठों याम ,
लरिकन संग गोपीन घर जावैं, टेरैं लै लै नाम |

चोरी सों दधि माखन खावैं, करन न देवें काम ,
वीथिन विच मिल जाहिं गोपियाँ, छेड़त नित घनश्याम ||1||

तारी दै दै हँसत सबै मिली, बरजति नहिं बलराम ,
ग्वाल-बाल सब रंगे एक रंग , बिसेरे रंग तमाम ||2||

ऐसे जो व्रजधाम सुपावन, लागत ललित ललाम ,
कण-कण में रमि रहे श्याम जू, जित देखें तित श्याम ||3||

''जय श्री राधे कृष्णा ''

Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: