
बांके बिहारी की देख छटा,मेरो मन है
गयो लटा पटा।
कब से खोजूं बनवारी को,बनवारी को,
गिरिधारी को।
कोई बता दे उसका पता,मेरो मन है
गयो लटा पटा॥1||
मोर मुकुट श्यामल तन धारी,कर मुरली अधरन
सजी प्यारी।
कमर में बांदे पीला पटा,मेरो मन है
गयो लटा पटा॥2||
पनिया भरन यमुना तट आई,बीच में मिल गए
कृष्ण कन्हाई।
फोर दियो पानी को घटा,मेरो मन है
गयो लटा पटा॥3||
टेडी नज़रें लत घुंघराली,मार रही मेरे दिल पे
कटारी।
और श्याम वरन जैसे कारी घटा,मेरो मन है
गयो लटा पटा॥4||
मिलते हैं उसे बांके बिहारी,बांके बिहारी,
सनेह बिहारी।
राधे राधे जिस ने रटा,मेरो मन है
गयो लटा पटा॥5||
'' जय श्री राधे कृष्णा ''
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