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प्रभु मेरे मन को बना दे शिवाला,
तेरे नाम की मैं जपूं रोज माला ।
अब तो मनो कामना है यह मेरी,
जिधर देखूं नज़र आए डमरू वाला ॥
कहीं और क्यूँ ढूँढने तुझ को जाऊं,
प्रभु मन के भीतर ही मैं तुझ को पाऊं ।
यह मन का शिवाला हो सब से निराला,
जिधर देखूं नज़र आए डमरू वाला ॥1||
भक्ति पे है अपनी विशवास मुझ को,
बनाएगा चरणों का तू दास मुझ को ।
मैं तुझ से जुदा अब नहीं रहने वाला,
जिधर देखूं नज़र आए डमरू वाला ॥2||
तू दर्पण सा उजला मेरे मन को करदे,
तू अपना उजाला मेरे मन में भरदे ।
हैं चारो दिशाओं में तेरा उजाला,
जिधर देखूं नज़र आए डमरू वाला ॥3||
'' जय श्री राधे कृष्णा ''
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