
बांके बिहारी तेरे नैना कजरारे,
नज़र ना लग जाए, ओये ओये ओये ।
मोर का मुकुट शीश पे शोभा पा रहा ।
मुखड़े को देख के चाँद भी लज्जा रहा ।
अधरों से छलके हैं रस की फुआरें ॥ 1||
तीखी कतारें, दोनों नैनो में कजरा ।
बाल हैं तिहारे जैसे सावन के बदरा ।
गालों पे छाए कारे कारे घुंघराले ॥ 2||
पतली कमर तेरी लचके कमाल की ।
वारि वारि जाऊं तेरी मस्तानी चल की ।
करती पायलिया तेरी मीठी झंकारें ॥ 3||
रमण बचाऊं तोहे सब की नज़र से ।
आजा छिपालूं तोहे नैनो के घर से ।
सुन मेरे प्यारे इस दिल की पुकारें ॥4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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