जो है मुझ पर गुजरती ना पूछो, वो बताने के काबिल नही हूँ।"

जो है मुझ पर गुजरती ना पूछो, वो बताने के काबिल नही हूँ।"





जो है मुझ पर गुजरती ना पूछो,
वो बताने के काबिल नही हूँ।
श्याम ने इस तरह जुल्म ढाये,
वो दिखाने के काबिल नही हूँ।

आग उल्फत की लगा के,
दूर नजरो से वो हो गये है।
क्या पता था मोहन बेदर्द तु इतना,
जो दिल लगाने के काबिल नही है।|1||

बरसो बित गये विरहन सहते,
सुख नयना गये बहते बहते,
चाहती हूँ भुल जाऊ पर,
वो भुलाने के काबिल नही है।|2||

कभी हम उनके थे वो हमारे,
आज है कर रहै बेवफाई,
क्या करूँ दिल से मजबूर हू मैं,
वो हरजाई याद आने के काबिल नही है।|3||

खून है दिल के आसूँ पानी नही है।
मेरा तिल-तिल जलता जिंया है।
बेवफा वो "ऐ कबीरा" जो संग दिल है, रहम खाने के
काबिल नही है।|4||

याद मे उसकी मर मर जिये है,
अजनबी अधेंरों मे जो आसूँ पिये है, भुला ले अब तो हमे
उस पार तेरे बिना,
"कबीरा" जीने के काबिल नही है।|5||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: