जिन्होंने हमे प्यार करना सिखाया उन्ही व्यास नंदन की जय बोलते हैं ।
जिन्होंने लड़ैती सी स्वामिनी हमें दीं दिये लाल से नेह सागर छबीले ॥
दिए फूंक प्राणो में वंशी के वे स्वर मिले जिनसे उन तक पहुँच के वसीले ॥
महारंक को प्रेम सा धन लुटाया उन्ही व्यास नंदन की जय बोलते हैं।।2।।
विपिन बीथियों की डगर जिनने डाली दिखाई प्रणय की अनूठी प्रणाली ॥
जहाँ श्याम श्यामा के मिलने की राहें वहाँ से विरह भीति जिनने निकाली ।
जिन्होंने प्रणय को सँवारा सजाया उन्ही हित हरिवंश जू की जै बोलते हैं ॥
कहानी कही उस नवल नेह तट की जिसे छूके बहती है श्रृंगार धारा ।
जहाँ मिलके नूपुर से बजती है वंशी जहाँ गोरे चरणों का ही एक सहारा ॥
उन्हीं को हृदय हार जिनने बनाया उन्ही व्यास नंदन की जय बोलते हैं।।
शरण जिसको दे दी हृदय से लगाया उठा कर जगत से विपिन में लगाया ।
हटा कर विषय पंक से धीरे धीरे प्रिया लाल के प्रेम सर में न्हवाया ॥
जिन्होंने ललित नेह नाता निभाया उन्ही व्यास नंदन की जय बोलते हैं।।
जय श्री राधे कृष्ण । श्री कृष्णाय समर्पणं
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