
हे दैया मतवाला जोगी द्वारे मेरे आया है ।
जटाजूट शिर गंग बिराजत ,त्रैलोचन मन भाया है ।
वृषभ ऊपर असवार होयकें ,श्रीगोकुलकों धाया है ।।१।।
बाघंबर पाटंबर सोहै ,अंगछार लपटाया है ।
कर त्रिशूल डमरू लियें खप्पर, सिंगीनाद बजाया है ।।२।।
अरूण नैन विजयायु चढायें ,अाक धतुरा खाया है ।
तिलक चंद्रमा भृकुटी ऊपर, जोगी जुगत बनाया है ।।३।।
रूंडमाल गरैं बीच बिराजत ,शेषनाग लपटाया है ।
अद्भुत रूप धरयौ जोगीकौ ,मेरा गुपाल डराया है ।।४।।
देखों मैया तेरा बालक, जिन मोय चटक लगाया है ।
सूरश्याम चरनरज बंदी ,दरशन में सचुपाया है ।।५।।
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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