
कोउ विधि मोहन का बन जाऊँ ।
मोहन मेरा मैं मोहन का,
प्रेम से गुण नित गाऊँ ।|1||
प्रेम नगर में उनके बस कर,
उनसे दिल बहलाऊँ ||2||
प्रेम पंथ की गली -गली में,
चलत चलत थक जाऊँ ||3||
मारग सरल बतादो आ कर,
पग-पग पर घबराऊँ । |4||
उनके संग अंग सब राचूँ,
निशदिन नेह बढ़ाऊँ ||5||
प्रकट दृष्टि में आवत नाहीं,
कैसे करके पाऊँ ||6||
शिवदीन दया कर आजा मोहन,
भव में मैं भरमाऊँ ||7||
नाव पुरानी भवसागर से ,
कैसे पार लगाऊँ ||8||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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