
प्रेम जता कर कठै गया थे श्याम,
म्है इत उत् ढूँढा, साँवरा जी दिन रात
हेत बढ़ा कर दूर गया क्यूँ श्याम,
म्हारो हिवड़ो कलपै, साँवरा जी दिन रात ||1||
झलक दिखा कर लुक छिप बैठ्या श्याम
म्हारी निजराँ तरसै, साँवरा जी दिन रात ||2||
शीश झुका कर अरज़ लगावाँ श्याम
"रवि" टेर लगावै, साँवरा जी दिन रात ||3||
🏻रविन्द्र केजरीवाल "रवि"👏🏻
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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