मुझे वृन्दावन बुला लोअब तो रहा ना जाएचरणों से ही

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मुझे वृन्दावन बुला लो
अब तो रहा ना जाए
चरणों से ही लगा लो
अब तो रहा न जाए






हैँ लाख अवगुण मुझमेँ
तुम तो दया के सागर
कृपा बरस रही है
खाली क्यों मेरी गागर
दरस अब करा दो
अब तो रहा ना जाए ||1||





सारा जगत बिसारा
आई हूँ दर पे तेरे
मुझे कोई ना सहारा
बस श्यामाश्याम मेरे
कोई सेवा लगाय लो
अब तो रहा ना जाए ||2||





याचक हूँ तेरे दर की
बस इतनी सी मांग मेरी
कब से तरस रही हूँ
बस एक झलक को तेरी
निर्धन की अब सुधि लो
अब तो रहा न जाए ||3||




जय श्री राधे कृष्ण



       श्री कृष्णाय समर्पणम्

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