मन तड़पत हरि दरसन को आज

मन तड़पत हरि दरसन को आज

मन तड़पत हरि दरसन को आज
मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज
आ, विनती करत हूँ, रखियो लाज
मन तड़पत हरि...
तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी
हमरी ओर नज़र कब होगी
सुन मोरे व्याकुल मन की बात
मन तड़पत हरि...

बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ
दीजो दान हरी गुन गाऊँ
सब गुनी जन पे तुम्हारा राज
मन तड़पत हरि...

मुरली मनोहर आस न तोड़ो
दुख भंजन मोरे साथ न छोड़ो
मोहे दरसन भिक्षा दे दो आज दे दो आज
मन तड़पत हरि...
( Mun tadpat hari darsan ko aaj )

''जय श्री राधे कृष्णा ''

Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: