बार बार मिलता नही मानव तन अनमोल

बार बार मिलता नही मानव तन अनमोल

बार बार मिलता नही मानव तन अनमोल

सो भजन करो भगवान का कपट किवारे खोल

मन तै भजन बिना दुख पइहै फिर पीछे पछ्तइहै

पइहै भजन बिना दुख भारी

दइहै साथ न घर की नारी

झूठे तन की रिस्तेदारी

जग का नाता

जिन्हे मान कर तुम बैठे हो वही न इक दिन रइहै

ज दिन पडे काल का फेरा उस दिन कोइ न साथी तेरा

जिनको कहता मेरा मेरा इक दिन कोइ न साथी तेरा

किओ अपनाता जब यमराज नरक् मे डाले वहा कठिन दुख पइहै

पइहै यमदुतो की मार रुइहै छोड छोड डिड्कार

दइहै नरक् कुंड मा डार जहा दुख भारी

जब तै हाय हाय चिल्लाइहै डंडा यमदुतन के खइहै

तब को कस्ट हरी

लख चैरासी घूम फिर अइहै तब मनुस तन पइहै

जब तै गर्भवास मा जइहै उल्टा नव महीना लव रइहै

हरी का भजन करन का कइहै तब जान परी

कर के कोल करार तुम्हारा किन्हिन गर्भवास से न्यारा

तासे भजन करो प्रभु का नित करो भजन

''जय श्री राधे कृष्णा ''
Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: