
तीन लोक के स्वामी जहँ पै, नाचत आठों याम
लरिकन संग गोपीन घर जावैं, टेरैं लै लै नाम
चोरी सों दधि माखन खावैं, करन न देवें काम
वीथिन विच मिल जाहिं गोपियाँ, छेड़त नित घनश्याम
तारी दै दै हँसत सबै मिली, बरजति नहिं बलराम
ग्वाल-बाल सब रंगे एक रंग , बिसेरे रंग तमाम
ऐसे जो व्रजधाम सुपावन, लागत ललित ललाम
कण-कण में रमि रहे श्याम जू, जित देखें तित श्याम
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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