चरन कमल बंदौ हरिराई

चरन कमल बंदौ हरिराई

चरन कमल बंदौ हरिराई ।
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघे,अंधे को सब कछु दरसाई ॥१॥
बहरो सुने मूक पुनि बोले,रंक चले सिर छत्र धराई ।
‘सूरदास’ स्वामी करुणामय, बारबार बंदौ तिहिं पाई ॥२॥

Charan Kamal Bando Hari Rai



जय श्री राधे कृष्णा

post written by:

Related Posts

  • कहियौ जसुमति की आसीसकहियौ जसुमति की आसीस। जहां रहौ तहं नंदलाडिले, जीवौ कोटि बरीस॥ मुरली दई, दौहिनी घृत भरि, ऊधो धरि लई…
  • अंखियां हरि–दरसन की प्यासी अंखियां हरि–दरसन की प्यासी। देख्यौ चाहति कमलनैन कौ¸ निसि–दिन रहति उदासी।। आए ऊधै फिरि गए आंगन¸ डा…
  • ऊधो, हम लायक सिख दीजै ऊधो, हम लायक सिख दीजै। यह उपदेस अगिनि तै तातो, कहो कौन बिधि कीजै॥ तुमहीं कहौ, इहां इतननि में सीखन…
  • ऊधो, मन माने की बात ऊधो, मन माने की बात। दाख छुहारो छांड़ि अमृतफल, बिषकीरा बिष खात॥ जो चकोर कों देइ कपूर कोउ, तजि अंग…

0 Comments: