Home › Surdas चरन कमल बंदौ हरिराई in Surdas published on 27 जून leave a reply चरन कमल बंदौ हरिराई । जाकी कृपा पंगु गिरि लंघे,अंधे को सब कछु दरसाई ॥१॥ बहरो सुने मूक पुनि बोले,रंक चले सिर छत्र धराई । ‘सूरदास’ स्वामी करुणामय, बारबार बंदौ तिहिं पाई ॥२॥ Charan Kamal Bando Hari Rai जय श्री राधे कृष्णा Previous Post जोग ठगौरी ब्रज न बिकैहै Next Post अंखियां हरि–दरसन की प्यासी post written by: Admin Related Postsनिसिदिन बरसत नैन हमारे निसिदिन बरसत नैन हमारे। सदा रहत पावस ऋतु हम पर, जबते स्याम सिधारे।। अंजन थिर न रहत अँखियन में, कर… मैया री मैं चंद लहौंगौ मैया री मैं चंद लहौंगौ । कहा करौं जलपुट भीतर कौ, बाहर ब्यौंकि गहौंगौ ॥ यह तौ झलमलात झकझोरत, कैसैं… अब कै माधव, मोहिं उधारिअब कै माधव, मोहिं उधारि।मगन हौं भव अम्बुनिधि में, कृपासिन्धु मुरारि॥नीर अति गंभीर माया, लोभ लहरि तरं… मैया कबहुं बढ़ैगी चोटीमैया कबहुं बढ़ैगी चोटी। किती बेर मोहि दूध पियत भइ यह अजहूं है छोटी॥ तू जो कहति बल की बेनी ज्यों ह्वै…
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