पाया मैनें है भगवान ,
सत्संग की है महिमा महान |
आन मिले मुझसे भगवान ,
पाया मैंने अनुभव ज्ञान |
जौहरी मिल गया एक निराला ,
कांच से छांट हीरा कर डाला |
परमात्मा से हुई पहचान ||१||
कर्म न काया मोह न माया ,
कर्तापन का भरम मिटाया ,
छूट गया देह का अभिमान ||२||
अनुभव की दृष्टि सारी,
दुनिया देखी हारी हारी ,
है ये फीकी और सुनसान ||३||
बहती अविरल ज्ञान की धारा,
धुल गया मेरा कलिमल सारा ,
दूर नहीं है अब निर्वाण ||४||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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