"जय श्री कृष्णा"
कथा उस समय की है जब मुग़ल शासन था
। एक पुजारी जी रोज ठाकुर जी के
लिए फूल लेकर आते थे और उसके बाद
फूलो से माला बनाते थे। और ठाकुर
जी को अर्पण करते थे । एक दिन
पुजारी जी फूल लेने आये तभी एक
गुलाम भी फूल लेने आया जब तक फूल
सारे बिक गए । एक ही टोकरी फूलो
की बची थी ।
गुलाम ने कहा यह टोकरी मेरे को दो
तब पुजारी जी बोले यह फूलो की
टोकरी मेरे को दो । गुलाम कहता की
पता है यह फूल किस के लिए ले जाने
है वो इस देश की बेगम है । तब पुजारी
जी बोले की में यह फूल जगत के
बादशाह के लिए लेकर जा रहा हूँ ।
गुलाम कहता की अच्छा तो जो भी
ज्यादा पैसे देगा वो ले जायेगा ।
फूलो की टोकरी थी कुल एक पैसे की
गुलाम ने वोली बोली एक रुपया
पुजारी ने डवल कर दी 2रुपया तब
गुलाम ने 10 रुपया बोला पुजारी जी
ने 100 रुपया गुलाम ने 1000 रुपया
पुजारी जी ने 2हज़ार गुलाम ने 50
हज़ार पुजारी जी 1लाख बोल दिए ।
गुलाम डर गया की एक लाख फूलो की
टोकरी ले गया तो बेगम शाहीवा
नौकरी से तो निकलेगी और मार अलग
पड़ेगी । गुलाम ने फूल बाले को मना
कर चला गया । तब फूल बाला बोला की
पुजारी जी आप एक लाख की फूल की
टोकरी लोगे या मजाक कर रहे हो
पैसे कहा से दोगे तब पुजारी जी
बोले की मेरे पास जो हे वो आज से
आप का हे वो एक लाख से ज्यादा है ।
वो आप का । और पुजारी जी ने माला
बनाई और
प्रभु जी को जैसे ही अर्पण करी
तभी ठाकुर जी ने अपना सर झुका
दिया । तब पुजारी ने कहा आज क्या
बात है प्रभु जी......... आज ऐसा
क्यों...... तब ठाकुर जी ने कहा
कि........ आज अलग बात है पुजारी जी
आपने मेरी माला के लिए अपना सब
कुछ लूटा दिया । प्रभु जी ने कहा
की जो मेरे लिए कुछ लूटा देते
है में उस के लिए अपना सर भी झुका
देता हूँ ।
कहते हैं...... की भगत के बिना प्रभु
भी अकेले है ।।
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