पाँच पहर धन्धे गया, तीन पहर गया सोय ।
एक पहर हरि नाम बिन, मुक्ति कैसे होय ॥
एक पहर हरि नाम बिन, मुक्ति कैसे होय ॥
कबीरा सोया क्या करे, उठि न भजे भगवान ।
जम जब घर ले जायेंगे, पड़ी रहेगी म्यान ॥
रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय ।
हीना जन्म अनमोल था, कोड़ी बदले जाय ॥
माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर ।
आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर ॥
लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट ।
पाछे फिरे पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट ॥
आय हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर ।
एक सिंहासन चढ़ि चले, एक बँधे जात जंजीर ॥
एक सिंहासन चढ़ि चले, एक बँधे जात जंजीर ॥
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ।
पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगा कब ॥
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj5oxWQWvdrfQBUU6o52WBZvj_IW7c3vWOsX2ohzoxnh7EZkjARQU4CPqc2DLHgKPBldZr_D8BnwnaTiG6uw3R3a3LKERSIUFgobWYq7OwsBKFMyLBIfTKMURhplJAqbaHCt9n2o7zEX2E/s400/%2523PremMandir+824.jpg)
0 Comments: