कान्हा जी .....
कहो तो फूल बन जाऊँ,
तुम्हारी ज़िन्दगी का असूल बन जाऊँ, .
सुना है रेत पे चल के तुम महक जाते हो ,
कहो तो अबकी बार ज़मीन की धूल बन जाऊँ, बहुत नायाब होते हैं जिन्हें तुम अपना कहते हो ,
इजाज़त दो कि मैं भी इस क़दर अनमोल बन जाऊँ .
जय श्री राधे राधे जी
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