Mai nahi mera nahi yeh tun kisi ka hai diya

Mai nahi mera nahi yeh tun kisi ka hai diya

मैं नहीं, मेरा नहीं, यह तन किसी का है दिया।
जो भी अपने पास है, वह धन किसी का है दिया।

जो मिला है वह हमेशा, पास रह सकता नहीं।
कब बिछुड़ जाये यह कोई, राज कह सकता नहीं।
जिन्दगानी का खिला, मधुवन किसी का है दिया।..
मैं नहीं, मेरा नहीं, यह तन किसी का है दिया।

जग की सेवा खोज अपनी, प्रीति उनसे कीजिये।
जिन्दगी का राज है, यह जानकर जी लीजिये।
साधना की राह पर, यह साधन किसी का है दिया।
मैं नहीं, मेरा नहीं, यह तन किसी का है दिया।

देने वाले ने दिया, वह भी दिया किस शान से।
"मेरा है" यह लेने वाला, कह उठा अभिमान से
"मैं", ‘मेरा’ यह कहने वाला, मन किसी का है दिया।
मैं नहीं, मेरा नहीं, यह तन किसी का है दिया।

जो भी अपने पास है, वह सब किसी का है दिया।
मैं नहीं, मेरा नहीं, यह तन किसी का है दिया।
जो भी अपने पास है, वह धन किसी का है दिया।
मैं नहीं, मेरा नहीं, यह तन किसी का है दिया।


''जय श्री राधे कृष्णा ''

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