अपने मन की मै जानू और पी के मन की जाने राम
सांसों की माला पे सिमरूं मैं पिय का नाम
राणा भेजा जहर प्याला अमृत कर पी जाना
मीरा अब तो दीवानी सांवलिया पर कान्हा
मै तो गोविन्द गुण गाना
यही मेरी बंदगी है और यही मेरी पूजा है बस
सांसों की माला पे सिमरूं मैं पिय का नाम ||1
प्रीतम का कुछ दोष नहीं है, वो तो है निर्दोष
रंग पिया के रंग ली चुनरिया ले एक तारा चली
और ओडली चुनर प्रेम की फिर अर्जी करता
प्रीतम का कुछ दोष नहीं है , वो तो है निर्दोष
अपने आप से बातें करके हो गयी मै बदनाम ||2
प्रेम के रंग में ऐसी डूबी, हो गया एक ही रूप
तेरे कोई ना खेवन हार मगन होए मीरा चली
लाज शर्म कुल की मर्यादा सर से दूर करी
मान अपमान दोउ घर पटके , निकली हु ज्ञान गली
तुम जाओ राणा घर अपने तेरी मेरी नाही साडी ||3
प्रेम के रंग में ऐसी डूबी, हो गया एक ही रूप
प्रेम की माला जपते जपते आप बनी मै श्याम
सांसों की माला पे सिमरूं मैं पिय का नाम
यही मेरी बंदगी है और यही मेरी पूजा बस
सांसों की माला पे सिमरूं मैं पिय का नाम
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