कभी अपने दोस्त की सच्चाई का इम्तेहान न लेना यारों..
क्या पता उस वक़्त वो मजबूर हो और तुम एक अच्छा दोस्त खो बैठो|
"मतलब" बड़े भारी होते है
निकलते ही रिश्तों का वज़न कम कर देते है
दर्द कितना खुशनसीब है जिसे पाकर लोग अपनों को याद करते हैं,
दौलत कितनी बदनसीब है जिसे पाकर लोग अक्सर अपनों को भूल जाते है
"जरूरी नही कि जिनमे सांसें नही वो ही मुर्दा है..
जिनमे इंसानियत नही है, वो भी तो मुर्दा ही है.
"नाम" और "बदनाम"
में क्या फर्क है ?
"नाम" खुद कमाना पड़ता है ,
और "बदनामी" लोग आपको
कमा के देते हैं...
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