
मोहन ने लगाया अधरों से अधरामृत पिलाया अधरों से नाजुक कर कमलो
published on 28 August
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मोहन ने लगाया अधरों से
अधरामृत पिलाया अधरों से
नाजुक कर कमलो से उठा कर के
तुमको लगाया अधरों से
मुरली धन्य भाग्य तुम्हारे हुए
मोहन ने लगाया अधरों से
कोमल कर से वो उठाते हैं
तुम्हे अपने करीब हर समय बिठाते हैं
कभी अपने पास सुलाते हैं
कभी होंठो का रस तुम्हे पिलाते हैं
कभी बांध के अपनी कमरिया में
रसिया अपने साथ तुम्हे ले जाते हैं
मुरली धन्य भाग तुम्हारे हुए
मोहन ने लगाया अधरों से
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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