
श्री राधे कीजै कृपा की कोर...
सरस किशोरी वयस की थोरी रति रस वोरी
कीजै कृपा की कोर....श्री राधे...कीजै कृपा की कोर
साधन हीन... दीन मैं राधे....
तुम करुणामयी प्रेम अगाधे........
काके द्वारे जायें पुकारे... कौन निहारे....दीन दुखी की ओर..
श्री राधे...कीजै कृपा की कोर....कीजै कृपा की कोर.||1||
करत अघन नहिं नैक अघाऊँ....
भजन करन मैं ना मन को लगाऊँ...
कवि वर जोरी...लखि निज ओरी... तुम बिन मोरी.... कौन सुधारै दौर....
श्री राधे...कीजै कृपा की कोर....कीजै कृपा की कोर..||2||
भलौ बुरौ जैसौ हूँ तिहारौ......
तुम बिन कोऊ न हितू हमारौ.......
भानु दुलारी...सुधि लो हमारी....शरण तुम्हारी.......हौं पतितन सिरमौर
श्री राधे...कीजै कृपा की कोर....कीजै कृपा की कोर.||3||
गोपी प्रेम की भिक्षा दीजै....
कैसे हूँ मोहि अपनौ करि लीजै.....
तुम गुण गावत....दिवस बितावत....दृग भरि आवत..हैंवे प्रेम विभोर
श्री राधे...कीजै कृपा की कोर....कीजै कृपा की कोर.||4||
श्री श्यामा कीजै कृपा की कोर.....
सरस किशोरी वयस की थोरी रति रस वोरी
कीजै कृपा की कोर....श्री राधे...कीजै कृपा की कोर.||5||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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