
आज किसने ये तुझको सवार कान्हा
चाँद धरती पे किसने उतारा कान्हा
तेरा सावल सा मुखड़ा यह बांकी अदा
तेरी चितवन पे कान्हा हुए हम फ़िदा
हम ने रह रह के तुझको निहारा कान्हा
चाँद धरती पे किसने उतारा कान्हा ||1||
रूप राशी का गहरा समुन्दर ह तु.
किस जुबा से खे कितना सुन्दर ह तू
चैनदिल से चुराया हमारा कान्हा
चाँद धरती पे किसने उतारा कान्हा ||2||
तेरे भक्तो पे कैसी यह मदहोशिय
होश खो बैठ छाई ह बेहोशिया
हर्ष वश में जिया न हमारा कान्हा
चाँद धरती पे किसने उतारा कान्हा ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा '
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