दूर नगरी बड़ी दूर नगरी कैसे आऊं मैं कन्हाई  तेरी गोकुल

रचनाकार
By -
0


 दूर नगरी बड़ी दूर नगरी
 कैसे आऊं मैं कन्हाई  तेरी गोकुल नगरी
 बड़ी दूर नगरी

रात को आऊं कान्हा डर मोहे लागे
दिन को आऊं तो देखे सारी नगरी। दूर नगरी॥१||

सखी संग आऊं कान्हा शर्म मोहे लागे
अकेली आऊं तो भूल जाऊं तेरी डगरी। दूर नगरी॥2॥।

धीरे-धीरे चलूं तो कमर मोरी लचके
झटपट चलूं तो छलकाए  गगरी। दूर नगरी॥3॥

मीरा कहे प्रभु गिरधर नागर
तुमरे दरस बिन मैं तो हो गयी  बावरी। दूर नगरी॥4॥

''जय श्री राधे कृष्णा ''


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Share your thoughts on Lord Krishna. Join the discussion! 🕉️💬🙏

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

श्रीकृष्ण से जुड़े अनुभव को और भी सुंदर बनाने हेतु, यह वेबसाइट कुकीज़ का उपयोग करती है। विवरण देखें
Ok, Go it!