
हे गोपाल कृष्ण ! करुँ आरती तेरी...
हे प्रियापति ! मैं करुँ आरती तेरी ...!
तुझपे कान्हा बलि-बलि जाऊँ ...
साँझ-सवेरे तेरे गुण गाऊँ ...!
प्रेम में रही मैं रँगी भक्ति में तेरी...
हे गोपाल कृष्ण ! करुँ आरती तेरी...
हे प्रियापति ! मैं करुँ आरती तेरी ...!
ये माटी का तन है तेरा..
मन और प्राण भी तेरे ...!
मैं इक गोपी , तुम हो कन्हैया ..
तुम हो भगवन् मेरे ...!
हे गोपाल कृष्ण ! करुँ आरती तेरी...
हे प्रियापति ! मैं करुँ आरती तेरी ...!
ओ कान्हा तेरा रुप अनुपम ...
मन को हरता जाए ...!
मन ये चाहे हर पल ...
अँखियाँ तेरा दर्शन पाएँ ...!!
दर्श तेरा प्रेम तेरा आस है मेरी ...
हे गोपाल कृष्ण ! करुँ आरती तेरी...
हे प्रियापति ! मैं करुँ आरती तेरी ...!
॥ जय श्रीराधेकृष्ण ॥
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