
चली है किशोरी
पनघट की ओर
वंशी बजाके
रोके नंदकिशोर.
दिशाएं,हवाएं
टकटकी है लगाए.
निहारे है इनको
सब काज छोड़.||1||
झुक गई हैं लताएं
देखो फूल बरसाए
लगी है जैसे होड़
जाए चरणों की ओर.||2||
एक कदम बढ़ाया
और एक लिया रोक.
कैसे जाए राधा जब
दिया कान्हा ने टोक.||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
~
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