
माटी में मिले माटी और पानी में पानी
अरे अभिमानी तेरी यही कहानी
रही न निशानी जग में रजा वजीरों की
देख देख ठाठ जिनके लाख लाख हीरों की
ढाई गज कपडा ओढ़े पड़ेगी उठानी
अरे अभिमानी तेरी यही कहानी ||१||
खाना पीना पशुओ का कम है
दो घडी न सत्संग किया करता अभिमान है
बीती जाये यु ही तेरी साडी जिंदगानी
अरे अभिमानी तेरी यही कहानी||२||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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