ये गर्व भरा मस्तक मेरा ,हरि चरण धूल तक झुकने
published on 18 September
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ये गर्व भरा मस्तक मेरा ,
हरि चरण धूल तक झुकने दो |
अहंकार विकार भरे मन को ,
निज नाम की माला जपने दो |
मैं मन की मैल को धो न सका ,
ये जीवन तेरा हो न सका |
ये प्रेम में इतना खो न सका ,
गिर भी जो पडू तो उठने दो ||१||
मैं अज्ञान की बातों में खोया ,
और कर्महीन पड़कर सोया |
जब आँख खुली तो मन रोया ,
जग सोये और मुझको जगने दो ||२||
कैसा भी हूँ मै खोटा या खरा ,
फिर भी तो शरण में आ ही गया |
एक बार तो कह दो खाली जा ,
या तो प्रीत की रीत झलकने दो ||३||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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