भज नारायण भज नारायण,

भज नारायण भज नारायण,



भज नारायण भज नारायण, नारायण भज भाई रे |

त्याग दिये उस दुर्योधन के मेवा और मिठाई रे
सूखो साग विदुर घर खायो मान लिये पहुंनाई रे ||1||

नहिं चहिये दुनिया की दौलत नहिं चहिये ठकुराई रे
शबरी के दो चार बेर पर रीझ गये रघुराई रे ||2||

पूज्य पिता दशरथ ने उनकी किरपा को नहिं जानी रे
गीध जटायु दीन दशा पर अँसुअन धार बहाई रे ||3||

अनन्य भाव से भज ले हरि को मन की कपट हटाई रे
विश्वास करले गुरुकृपा पर बिरजा पार लगाई रे ||4||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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