
चोरी करतो डोले ,
श्याम मोते सूधो न बोले ।
जबहिं देख ले सूनी बाखर ,
घर की साँखर खोले ||१||
ग्वाल-बाल ले घर मे आवे ,
माखन माट टटोले ||२||
दधि मेरो खाय मटुकिया फोरे ,
रस में विष कूँ धोले ||३||
जो मैं पकरन याकूँ भाजी ,
बैंयाँ पकर झकझोरे ||४||
छोडूँ गाँव तेरो ब्रजरानी ,
तुम ते साँची बोले ||५||
" नारायण " नटखट नन्द नन्दन ,
का जाने प्रीति को मोले ||६||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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