
धून - बचपन की मोहब्बत
दिल की हर धड़कन से , तेरा नाम निकलता है कान्हां तेरे दर्शन को , तेरा दास तरसता है | जन्मों पे जनम लेकर मैं हार गया मोहन, दर्शन बिन व्यर्थ हुआ हर बार मेरा जीवन, अब धीर नहीं मुझमे कितना तू परखता है || १ || शतरंज बना जग को क्या खेल सजाया है, मोहरों की तरह हमको क्या खूब नचाया है, ये खेल तेरे न्यारे , तू ही तो समझता है || २ || कर दो न दया मोहन , दातार कहाते हो, नयनो का नीर कहे क्यूँ बार लगाते हो, " नन्दू " दिल का दिल में , अरमान मचलता है || ३ || ''जय श्री राधे कृष्णा ''
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