
धुन- सारंगा तेरी याद में
क्या रखा संसार में सोच ज़रा इन्सान दो दिन का मेहमान तूँ , क्यूँ करता अभिमान |
दूनियाँ के इस खेल में , कोई सका ना जीत , आज तेरे अनुकूल जो , कसल होगा विपरीत , आश जगत की छोड़ दे , मालिक से कर प्रीत || १ ||
बोयेगा सो पायेगा , इसमें मीन न मेख , भीतर बैठा लिख रहा , कर्मों का सब लेख , घट के पट खोल से , परमेशवर को देख || २ ||
ये काया माया तेरी , एक दिन ही विध्वंस,
" बिन्नू " सब छोड़ के , उड़ जायेगा हंस , चिन्तन कर उस प्रभु का , जिसका तूँ है अंश || ३ ||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
0 Comments: