ना जाने महर कब कहाँ हो गई

ना जाने महर कब कहाँ हो गई







धुन- सुहाना सफ़र और ये मौसम


ना जाने महर कब कहाँ हो गई
मेरी ज़िन्दगी फिर से हँसी हो गई |


हो देने वाला नज़र भी ना आया,
ही फिर भी दामन भरा मैंने पाया,
मेरी साँसे , मेरी आँखें , ख़ुशी से नम हो गई || १ ||


हो रौशनी एक चमकती सी आई ,
हो मेरे जीवन में खुशियाँ सी छाई,
मेरी जीवन , का अँधेरा , वो रौशनी ले गई || २ ||


हो मैंने जब से करी इनकी बन्दगी ,
हो " रवि " कहता तभी पाई ज़िन्दगी ,
मेरे सपने , मेरी दुनियाँ , में फिर बहार आ गई || ३||




''जय श्री राधे कृष्णा ''
 

Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: