
तर्ज- मैं जट यमला पगला दीवाना रचियता- श्रधेय श्री हरीश चन्द्र शर्मा (गुरु जी) लखनऊ
सारी दुनिया में घुमा तब जाना कि मैं तो हो गया हूँ श्याम का दीवाना की की की बाबा मेरा यार लगता है, मुझसे वो प्यार करता है,|
सेवा दी भक्ति भी दी और प्यार भी दिया, खाटू में बुलाकर उपकार भी किया, बस यही तम्मना है, गुण तेरे गाउ मैं, बाबा तेरी सेवा ही हरपल करता जाऊ मैं चरणों से अपने लगाना,बनाना,दीवाना ||1||
लगता है अच्छे कर्म मेरे अब काम आ गये, खाटू से दर्शन देने बाबा श्याम आ गये, वर्षो की तपस्या का फल दिलवाया है, लखनऊ में बाबा ने धाम बनवाया है, ऐसे ही कृपा बरसाना, बनाना ,दीवाना ||2|| .
सेवा दी जो तूने मुझको काम मिल गया, "हरि" तेरे चरणों में चारो धाम मिल गया, बस यही तम्मना है, गुण तेरे गाउ मैं, बाबा तेरे चरणों में, जीवन ये बिताऊ मैं, चरणों का दास बनाना,बना कर दीवाना ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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