मेरे घनश्याम की सूरत , जमाने से निराली है

मेरे घनश्याम की सूरत , जमाने से निराली है



धुन- बहारों फूल बरसाओ 

मेरे घनश्याम की सूरत , जमाने से निराली है,
यदि तुम गौर से देखो तो , गोरी है न काली है |

सुबह अगर देखो तो बचपन , दुपहरी में जवानी है,
अगर तुम रात को देखो तो , बिना दीपक दिवाली है || १ ||

नज़र आती है मूरत में , सूरत श्याम सुन्दर की ,
लगाकर ध्यान तुम देखो , करोड़ों रंगवाली है || २ ||

पड़े जब भीड़ भक्तों पे , तो अवतार लेते हैं,
जरुरत जहाँ पड़े जैसी तो , वो वैसी बनाली है || ३ ||

न कागज है न स्याही है , न हीं साँचे में ढाली है ,
वो " सोहन लोहाकर " ने , दिल में लिख डालि है || ४ ||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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